Saturday, May 12, 2012



छिटगा

1
जब तक समाज म
जातिवाद, क्षेत्रवाद
अर छ~वटु बड़ को भेद रैंण
तब तलक भल्लु कनम होण?
2
घौर म बण्यां फुग्यानात
नी खांद हम तौंकु हत्थौं भात
दारू पेंदा सब्य संगति
चलणों रैंद विद~ भै-भयाता।
3
गंगा राजनीति ह~वैगि
नारों की सौगात ह~वैगि
गंगा ल बचण कन्क्वै
जब गंगा को मैत ही बांज पोड़िगे?
4
ड़ाली,बूटी जंगळों कू नाश
खरड़ि ढंय~यां, गदनि उदास
मन्खी न मौसम, कुयेड़ी न पाणी
यनम गंगा कनक्वै बचाण?
5
गंगा अमणि गंदळि ह~वैगे
गौमुख बिटि ही काजौळ ह~वैगे
आचमन कनकु साफ पाणि नीच
गंगा नौ क नारा लगणां छन
बस कागजों म करोड़ों खर्चेगे।
6
वरूणावत बिटि अयों रैबार
ह~वै जाव सब्बि खबरदार
निकारा ड़ाळि बूट~यों कु नाश
निथर फिर हूंण विनाश।
7
गदन्यों रोकि की ड़ाम बणणां छन
घर-गौं उज्याड़िक विकास कनां छन
नेता अर ठ~यकदार कनां छन मौज
जनता तिल-तिल कै म्वनीं रोज।
8

गढ़वळि ल भाषा कनक्वें बणण
जब तक तुमन उदास रैंण
गढ़वळि ब्वन म शरम
नि पाळा भाषा को भरम।
ग्वरख्याणी तैं पैड़ि ल्या
गढ़वळि-कुमौंउनीं कु क्या कन
बिना मान सम्मान कु
यों ल कनम पनफण?




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