Friday, November 11, 2011

रात्यौं मी जब निंद नि औंदी
रात्यौं मी जब निंद नि औंदी
खुद कैकी सतौणीं रैंदी
हरका-फरक बस होणीं रैंदी
रात्यौं जब मी निंद नि औंदी।
बित्या दिनौं की याद सतौंद
वों की मुखड़ी समणि रैंद
कन्नु ब्वलि छौ अर कन्नि छै वो
वो की बत्था खुदेणीं रैंदी
रात्यौं जब मी निंद नि औंदी।
वों की पिड़ा मा से नि सकदू
वों की याद मा र~वै नि सकदू
भैर भितर मी करणूं रैंदु
जल्का बल्क्यों की रटणां रैंदी
रात्यौं जब मी निंद नि औंदी।
मेरी आंख्यों म वों का सुपिन्यां
मेरी यादों म वोंकी गाणीं
मेरी जीवन म वों जन्नु क्वी नीं
मेरी भावना वौंन बी जाणी
फिर बी प्रेम ड़ोर हिलणी रैंदी
रात्यौं जब मी निंद नि औंदी।
अपणि अवनि! की याद सतौंदी
रात्यौं जब मीं निंद नि औंदी
रात्यों जब मीं निंद नि औंदी।।... 01 नवम्बर, 2011.

 

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